धातु dhaatu

क्रिया के मूल रूप को धातु कहा जाता है अर्थात् जिस शब्द से क्रिया पद का निर्माण हों उसे धातु कहा जाता है। अतः कहा जा सकता है, कि क्रिया के सभी रूपों में धातु उपस्थित रहती है; जैसे- चलना क्रिया में चल धातु है

पढ़ना क्रिया में पढ़ धातु है। प्रायः धातु में ‘ना” प्रत्यय जोड़ने से क्रिया का निर्माण होता है।

धातु दो प्रकार के होते हैं –

  • मूल धातु
  • यौगिक धातु (क्रिया रूढ़ क्रिया)

मूल धातु

वह धातु जो किसी दूसरे पर निर्भर नहीं होता है अर्थात् जो स्वतंत्र होती है, वह मूल धातु कहलाती है जैसे – जा, खा, पढ़, चल आदि।

यौगिक धातु (क्रिया)

यह धातु किसी मूल धातु में संज्ञा या विशेषण में प्रत्यय लगाकर बनायी जाती है, अर्थात् यह धातु स्वतंत्र नहीं होती है। जैसे – चलना से चला, पढना से पढ़ा आदि।

यौगिक धातु की रचना

    धातु में प्रत्यय लगाने से सकर्मक और प्रेरणार्थक धातुएं बनती हैं।

    कई धातुओं को संयुक्त करने से संयुक्त धातु बनती है।

    संज्ञा या विशेषण से नाम धातु बनती है।

यौगिक धातु चार प्रकार के होते हैं –

    प्रेरणार्थक क्रिया

    संयुक्त यौगिक क्रिया

    नाम धातु क्रिया

    अनुकरणात्मक क्रिया…   

  प्रेरणार्थक क्रिया धातु – वह क्रिया जिसके द्वारा यह पता चलता है कि कर्त्ता स्वयं न काम करके किसी दूसरे को कार्य करने के लिए प्रेरित करता हो, वह प्रेरणार्थक क्रिया कहलाती है; जैसे – मोहन ने सोहन को जगाया, यहां पर सोहन, मोहन की प्रेरणा से जागा है। इस प्रकार प्रायः सभी धातुओं के दो-दो प्रेरणार्थक रूप होते हैं- प्रथम वह जिस धातु में ‘आ’ लगता हो जैसे – कर से करा, सुन से सुना और द्वितीय वह जिस धातु में ‘वा’ लगता हो, जैसे- सुन – सुनवा, कर – करवा, हट, हटवा आदि।

मूलधातु      प्रेरणार्थक क्रिया

उठ-ना उठाना, उठवाना

पी-ना पीलाना, पीलवाना

कर-ना कराना, करवाना

सो-ना सुलाना, सुलवाना

खा-ना खिलाना, खिलवाना

2. यौगिक/संयुक्त क्रिया (धातु) – दो या दो से अधिक धातुओं के संयोग से जिस क्रिया का निर्माण होता है, वह यौगिक/संयुक्त क्रिया (धातु) कहलाती है; जैसे – रोना – धोना, उठना – बैठना, चलना – फिरना आदि।

3. नाम धातु (क्रिया) – वह धातु जो संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण की सहायता से बनती है, वह नाम धातु कहलाती है; जैसे- बात से बतियाना, अपना से अपनाना, गरम से गरमाना आदि।

4. अनुकरणात्मक क्रियाएं- वह वास्तविक या कल्पित ध्वनि जिसे क्रियाओं के रूप में अपना लिया जाता है, वह अनुकरणात्मक क्रियाएं कहलाती हैं; जैसे – खटखट से खटखटाना, थपथप से थपथपाना आदि।

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