❒Topic ► 【हिन्दी व्याकरण -समास】

समास की परिभाषा :-

समास दो या दो से अधिक शब्दों के मिलने से बने शब्दों को सामासिक पड़ या समास कहते हैं।

समास के भेद समास के छह भेद होते हैं।
1. अव्ययीभाव समास
2. तत्पुरुष समास
3. कर्मधारय समास
4. द्विगु समास
5. द्वंद्व समास
6. बहुब्रीहि समास

1. अव्ययीभाव समास – जिस सामासिक शब्द में प्रथम पद प्रधान और पूरा पद अव्यय होता है, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं;
जैसे- यथाशक्ति—शक्ति केअनुसार
यथाशीघ्र—शीघ्रता से
सपरिवार—परिवार सहित
सानन्द—आनन्द सहित
आजन्म—जन्म भर

2. तत्पुरुष समास – जिस सामासिक शब्द में दूसरे पद की प्रधानता होती है तथा विभक्ति चिन्ह लुप्त हो जाता है उसे तत्पुरुष समास कहते हैं;
जैसे- यश प्राप्त- यश को प्राप्त हुआ
सुखप्रद—सुख को देने वाला
अजन्मांध—जन्म से अंधा
जलमग्न—जल में मग्न
आपबीती—अपने पर बीती

3. कर्मधारय समास – जिस सामासिक शब्द में उतर पद प्रधान होता हैं, उसे कर्मधारय समास कहते हैं। इसमे पूर्व पद विशेषण और उत्तर पद विशेष्य होता है;
जैसे- नीलकमल—नीला हैं जो कमल
महत्मा—महान हैं जो आत्मा
पुरुषोत्तम—पुरुषों में उत्तम
चरणकमल—कमल के समान चरण
चन्द्रमुख—चंद्रमाकेसमान मुख

4.द्विगु समास – जिस सामासिक शब्द का प्रथम पद सख्यावाची और अंतिम पद संज्ञा हो ,उसे द्विगु समास कहते हैं;
जैसे- त्रिदेव—तीन देवताओं का समूह
पंचवटी—पांच वटो का समूह
चौमासा—चार महीनों के समूह
सप्तपदी—सात पदों का समूह
सप्त सिंधु—सात नदियों का समूह

5. द्वंद्व समास – जिस सामासिक शब्द के दोनों पद प्रधान हो, दोनों पद संज्ञाए अथवा विशेषण हो ,उसे द्वंद्व समास कहते हैं;
जैसे- राम-कृष्ण— राम और कृष्ण
दाल- रोटी—दाल और रोटी
कंद-मूल— कन्द और मूल

6. बहुब्रीहि समास – इस सामासिक पद में कोई भी शब्द प्रधान नही होता बल्कि दोनों शब्द मिलकर एक नया अर्थ प्रकट करते हैं;
जैसे नीलकंठ—नीला हैं कंठ जिसका अर्थात = शिव
दशानन—दस हैं आनन जिसके अर्थात= रावण
पंकज—पंक में पैदा हो जो अर्थात= कमल

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