😢😢 “”बेबसी””😢😢
आँखों में आँसू नहीं, लहू देखा है।
47 के बाद पलायन का दूसरा दौर देखा है
पैरों में छाले ,भूख से सूखी अंतड़ियों को देखा है।
ममता की गोद में दूधमुंहे बच्चे को देखा है।
आँखों में आँसू नहीं😢😢😢….
डिजिटल भारत ,मेक इन इंडिया को देखा है।
परिवहन के दौर में पैदल काफिलों का दौर देखा है ।
सुना है इंसान चाँद पर पहुँच गया।
लेकिन अपने ही घर न पहुच पाने का दर्द देखा है ।
आँखों में आँसू नहीं😢😢😢…
जो प्रश्न उठाते हैं राष्ट्रपिता (ज्योति राव फूले)पर ।
आज उन्हीं के सिद्धांतों पर आत्मनिर्भरता का दौर देखा है
विज्ञान की पराकाष्ठा भौतिकता का दौर देखा है ।
कोविड-19(कोरोना)के सामने बेबस विज्ञान देखा है ।
आँखों में आँसू नहीं लहू देखा है
47 के बाद पलायन का दूसरा दौर देखा है … 🙏🙏
Can you add my videos to your blogs please reply
LikeLike
Okey
LikeLike