🖨 काल और काल के भेद
क्रिया के उस रूपांतर को ‘काल’ कहते हैं, जिससे क्रिया के होने का समय तथा उसकी पूर्ण या अपूर्ण अवस्था का बोध होता है ।
जैसे-वह खाता है । वह खा रहा है । वह खाता था । वह खा चुका था । वह खा रहा था।
‼️ काल के भेद (Kaal Ke Bhed)
काल के तीन मुख्य भेद हैं-
(1) वर्तमानकाल (Vartman Kaal)
(2) भूतकाल (Bhoot Kaal)
(3) भविष्यत्काल (Bhavishyat Kaal)
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(1) वर्तमानकाल (Vartman Kaal)
क्रियाओं के होने की निरंतरता को वर्तमान काल कहते हैं । इस काल में क्रिया प्रारंभ हो चुकी होती है ।
जैसे-वह खाता है, वह खा रहा है ।
वर्तमानकाल के भेद – वर्तमानकाल के पाँच भेद हैं-
(a) सामान्य वर्तमानकाल (Samanya Vartman Kaal)
(b) तात्कालिक वर्तमानकाल (Tatkaalitk Vartman Kaal)
(c) पूर्ण वर्तमानकाल (Purn Vartman Kaal)
(d) संदिग्ध वर्तमानकाल (Sandigdh Vartman Kaal)
(e) संभाव्य वर्तमानकाल (Sambhavya Vartman Kaal)
a. सामान्य वर्तमानकाल (Samanya Vartman Kaal) – क्रिया के जिस रूप से क्रिया के वर्तमान काल में सामान्य रूप से संपन्न होने का बोध होता है, उसे सामान्य वर्तमान कहते हैं ।
अर्थात् सामान्य वर्तमान से यह ज्ञात होता है कि क्रिया का प्रारंभ बोलने के समय हुआ है। जैस-हवा चलती है। लड़का पुस्तक पढ़ता है ।
b. तात्कालिक वर्तमानकाल (Tatkaalitk Vartman Kaal) – तात्कालिक वर्तमान से यह ज्ञात होता है कि वर्तमानकाल में क्रिया हो रही है । अर्थात् बोलते समय क्रिया का व्यापार जारी है या चल रहा है। अत: इस क्रिया से इसकी पूर्णता का ज्ञान नहीं होता । इसीलिए तात्कालिक वर्तमान को अपूर्ण वर्तमान के नाम से भी जाना जाता है।
जैसे-गाडी आ रही है । हम कपड़े पहन रहे हैं । पत्र भेजा जा रहा है ।
c. पूर्ण वर्तमानकाल (Purn Vartman Kaal) – पूर्ण वर्तमानकाल की क्रिया से ज्ञात होता है कि क्रिया का व्यापार ताईकल में पूर्ण हुआ है
जैसे – नकर आया है।
राम ने खाया है।
पत्र भेज गया ह
d. संदिग्ध वर्तमानकाल (Sandigdh Vartman Kaal) – जिससे क्रिया के संपन्न होने में तो संदेह प्रकट हो, परंतु उसकी वर्तमानता में कोई संदेह नहीं हो ।
जैसे – गाड़ी आती होगी ।
वह खाता होगा ।
वह सोता होगा ।
e. संभाव्य वर्तमानकाल (Sambhavya Vartman Kaal) – संभाव्य वर्तमान में क्रिया के वर्तमानकाल में पूरा होने की संभावना रहती है । संभाव्य का अर्थ है संभावित अर्थात्, जिसके होने की संभावना या अनुमान हो ।
जैसे-वह चलता हो ।
राम गया हो ।
उसने खाया हो ।
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(2) भूतकाल (Bhoot Kaal)
क्रिया के जिस रूप से कार्य की समाप्ति का ज्ञान हो, उसे भूतकाल की क्रिया कहते हैं ।
जैसे- वह आया था ।
उसने पढ़ा ।
वह जा चुका था !
भूतकाल के भेद – इसके छह भेद हैं-
(a) सामान्य भूत,
(b) आसन्न भूत,
(c) पूर्ण भूत,
(d) अपूर्ण भूत,
(e) संदिग्ध भूत
(f) हेतुहेतुमद् भूत
(a) सामान्य भूत – भूतकाल की जिस क्रिया से विशेष समय का बोध नहीं हो, उसे सामान्य भूतकाल की क्रिया कहते हैं । सामान्य भूतकाल की क्रिया से यह पता चलता है कि क्रिया का व्यापार बोलने या लिखने के पहले हुआ ।
जैसे-पानी गिरा । गाड़ी आयी। पत्र भेजा गया ।
(b) आसन्न भूत – क्रिया के जिस रूप से कार्य-व्यापार की समाप्ति निकट भूतकाल में या तत्काल ही उसके होने का भाव सूचित होता है, उसे आसन्न भूतकाल की क्रिया कहते हैं ।
जैसे-मैंने पढ़ा है ।
उसने दवा खायी है ।
वह चला है ।
(c) पूर्ण भूत – पूर्ण भूतकाल से ज्ञात होता है कि क्रिया के व्यापार को पूर्ण हुए काफी समय बीत चुका है । इसमें क्रिया की समाप्ति के समय का स्पष्ट ज्ञान होता है ।
जैसे-नौकर पत्र लाया था ।
राम ने लड्डू खाया था ।
(d) अपूर्ण भूत – अपूर्ण भूतकाल से यह ज्ञात होता है कि क्रिया भूतकाल में हो रही थी, उसका व्यापार पूरा नहीं हुआ था, लेकिन जारी था ।
जैसे-नौकर जा रहा था ।
गाडी आ रही थी ।
चिट्टी लिखी जाती थी ।
(e) संदिग्ध भूत – संदिग्ध भूतकाल में यह संदेह बना रहता है कि भूतकाल में क्रिया समाप्त हुई या नहीं ।
जैसे-उसने खाया होगा ।
वह चला होगा ।
राम ने पढ़ा होगा ।
(f) हेतुहेतुमद् भूत – हेतुहेतुमद् भूत से यह ज्ञात होता है कि क्रिया भूतकाल में होनेवाली थी, परन्तु किसी कारण से नहीं हो सकी ।
जैसे-मैं गाता ।
तू आता।
वह जाता ।
राम खाता ।
वह आता तो मैं जाता ।
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(3) भविष्यत्काल (Bhavishyat Kaal) – भविष्य में होनेवाली क्रिया को भविष्यत्काल की क्रिया कहते हैं ।
जैसे-वह आज आयेगा । राम कल पढ़ेगा ।
भविष्यत्काल के भेद – भविष्यत्काल के तीन भेद हैं-
(a) सामान्य भविष्य,
(b) संभाव्य भविष्य और
(c) हेतुहेतुमद्भविष्य ।
(a) सामान्य भविष्य – सामान्य भविष्य से यह ज्ञात होता है कि क्रिया सामान्यत: भविष्य में संपन्न होगी ।
जैसे-मैं घर जाऊँगा ।
वह पढ़ेगा ।
तू खायेगा।
राम आयेगा ।
(b) संभाव्य भविष्य – इससे भविष्य में होनेवाली किसी क्रिया की संभावना का बोध तिा है ।
जैसे-मैं सफल होऊँगा ।
शायद माँ कल लौट आये ।
वह विजयी होगा ।
(c) हेतुहेतुमद्भभविष्य -इसमें भविष्य में होनेवाली एक क्रिया दूसरी क्रिया के होने पर निर्भर रहती है ।
जैसे-वह गाये तो मैं भी गाऊँ ।
जो कमाये सो खाये ।
वह पढ़े तो सफल हो ।
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