Kriya Visheshan (क्रियाविशेषण) :
जिस शब्द से क्रिया की विशेषता का ज्ञान होता है, उसे क्रियाविशेषण कहते हैं।
जैसे-यहाँ, वहाँ, अब, तक, जल्दी, अभी, धीरे, बहुत, इत्यादि ।
क्रियाविशेषणों का वर्गीकरण तीन आधारों पर किया जाता है-
(1) प्रयोग
(2) रूप
(3) अर्थ
क्रियाविशेषण
(1) प्रयोग – (क) साधारण, (ख) संयोजक, (ग) अनुबद्ध
(2) रूप- (क) मूल, (ख) यौगिक, (ग) स्थानीय
(3) अर्थ- (क) स्थानवाचक, (ख) कालवाचक, (ग) परिमाणवाचक, (घ) रीतिवाचक
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬

प्रयोग के आधार पर क्रियाविशेषण तीन प्रकार के होते हैं:
(क) साधारण क्रियाविशेषण (Sadhran Kriya Visheshan) – जिन क्रियाविशेषणों का प्रयोग किसी वाक्य में स्वतंत्र होता है, उन्हें साधारण क्रियाविशेषण कहते हैं । जैसे-‘हाय ! अब मैं क्या करूं ?’, ‘बेटा जल्दी आओ !’, ‘अरे ! वह साँप कहाँ गया ?’


(ख) संयोजक क्रियाविशेषण (Sanyojak Kriya Visheshan) – जिन क्रियाविशेषणों का संबंध किसी उपवाक्ये के साथ रहता है, उन्हें संयोजक क्रियाविशेषण कहते हैं । जैसे- जब रोहिताश्व ही नहीं, तो मैं जी के क्या करूंगी 1′, ‘जहाँ अभी समुद्र है, वहाँ किसी समय जंगल था ।
(ग) अनुबद्ध क्रियाविशेषण (Anubaddh Kriya Visheshan) – अनुबद्ध क्रिय वशेषण वे हैं, जिनका प्रयोग निश्चय के लिए किसी भी शब्द-भेद के साथ हो सकता है ।
जैसे- यह तो किसी ने धोखा ही दिया है ।
मैंने उसे देखा तक नहीं ।
आपके आने भर की देर है।

https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
Advertisement