मानक हिन्दी वर्णमाला
संकलनकर्ता धनञ्जय द्विवेदी
१. स्वर
हिन्दी वर्णमाला में स्वरों की संख्या ग्यारह है।
( अ,आ, इ,ई, उ,ऊ,ऋ,ए,ऐ,ओ,औ )
अयोगवाह
अर्थ योग न होने पर भी जो साथ रहे। इस भांति अनुस्वार (अं ) और विसर्ग(अः ) अयोगवाह है इनका योग न तो स्वरों में होता है और न व्यंजनों में, इसी कारण इसे अयोगवाह कहते हैं।
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आचार्य किशोरी दास वाजपेयी के अनुसार – ये स्वर नही है और व्यंजनों की तरह ये पूर्व नही पश्चात् आते हैं इसीलिए व्यंजन नही हैं इसलिए इन दोनों ध्वनियों (अं और अः) को अयोगवाह कहते हैं।
ह्रस्व स्वर अ, इ, उ, ऋ
दीर्घ स्वर आ, ई, ऊ
संयुक्त स्वर ए, ऐ, ओ, औ
उच्चारण के आधार पर स्वर के भेद.
१. साननासिक या अनुनासिक
२. निरानुनासिक
व्यंजन वर्ण
व्यंजन वर्णों को मुख्यतः दो आधार पर वर्गीकृत किया गया है।
१. उच्चारण स्थान आधार पर
२. प्रयत्न के आधार पर ।
१. उच्चारण स्थान के आधार पर
नोट :- सूत्र सहित दूसरी पोस्ट में बताया जायेगा ।
२. प्रयत्न के आधार पर
१. अभ्यान्तर प्रयत्न
२. वाह्य प्रयत्न
१. अभ्यान्तर प्रयत्न
स्पर्श व्यंजन( क से म तक कुल
25)
नोट ड़ और ढ़ (द्विगुण या उक्षिप्त) व्यंजन भी स्पर्श के अन्तर्गत आते हैं अतः कुल स्पर्श व्यंजनों की संख्या 27 हैं)
२. अन्तस्थ व्यंजन (य, र, ल,व,)
३.ऊष्म व्यंजन (श, ष, स, ह)
४. अर्ध स्वर (य, व)
५. लुण्ठित / प्रकम्पित ( र )
६. अनुनासिक ( ड०,ञ, ण, न,म)
७. पार्श्विक (ल)
२. बाह्य प्रयत्न
१. घोष
२. अघोष
३. अल्पप्राण
४. महाप्राण
१.घोष प्रत्येक वर्ग का तीसरा चौथा पांचवा वर्ण अन्तस्थ व्यंजन सभी स्वर और ह वर्ण।
२.अघोष प्रत्येक वर्ग का पहला दूसरा वर्ण तथा श, ष, स
स्मरणीय तथ्य 12 सकार ( श,ष, स) अघोष वर्ण है शेष सभी स्वर और व्यंजन घोष हैं ।
३.अल्पप्राण प्रत्येक वर्ग का पहला, तीसरा , पांचवा वर्ण, अन्तस्थ व्यंजन तथा सम्पूर्ण स्वर।
४.महाप्राण प्रत्येक वर्ग का दूसरा चौथा वर्ण तथा ऊष्म व्यंजन।